गुजरा हुआ ज़माना फिर से याद आ गया गुजरा हुआ ज़माना फिर से याद आ गया
काला चश्मा करे कमाल, लाला जी की बदली चाल। काला चश्मा करे कमाल, लाला जी की बदली चाल।
क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट। क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट।
हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है। हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है।
एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा जाता है कोई उस प... एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा ...
इंसान, इंसान नहीं, रोबोट हो गया है ! इंसान, इंसान नहीं, रोबोट हो गया है !